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डीएसएसएसबी और अन्य परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण मुहावरे


प्रिय पाठकों,

शिक्षण परीक्षाओं में हिन्दी भाग से विभिन्न प्रश्न पूछे जाते है ये प्रश्न आप बहुत आसानी से हल कर सकते है यदि आप हिंदी भाषा से सम्बंधित विभिन्न टॉपिक के प्रश्नों का अभ्यास करे, हम हिंदी भाषा पर बहुत महत्वपूर्ण श्रृंखला की शुरुवात कर रहे है जो की आगामी TET, DSSSB और अन्य शिक्षण परीक्षाओ में बहुत ही सहायक होगी ।

महत्वपूर्ण मुहावरे:

1. अंग-अंग मुसकाना-(बहुत प्रसन्न होना) – आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।

2. अंग-अंग टूटना-(सारे बदन में दर्द होना) – इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।

3. अंग-अंग ढीला होना-(बहुत थक जाना) – तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

4. अक्ल का दुश्मन-(मूर्ख) – वह तो निरा अक्ल का दुश्मन निकला।

5. अक्ल चकराना – (कुछ समझ में न आना) – प्रश्न-पत्र देखते ही मेरी अक्ल चकरा गई।

6. अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना (समझाने पर भी न मानना) – तुम तो सदैव अक्ल के पीछे लठ लिए फिरते हो।

7. अक्ल के घोड़े दौड़ाना– (तरह-तरह के विचार करना) – बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए, तब कहीं वे अणुबम बना सके।

8. आँख दिखाना- (गुस्से से देखना) – जो हमें आँख दिखाएगा, हम उसकी आँखें फोड़ देगें।

9. आँखों में गिरना-(सम्मानरहित होना) – कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता की आँखों में गिरा दिया।

10. आँखों में धूल झोंकना-(धोखा देना) – शिवाजी मुगल पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर बंदीगृह से बाहर निकल गए।

11. आँख चुराना-(छिपना) – आजकल वह मुझसे आँखें चुराता फिरता है।

12. आँख मारना-(इशारा करना) – गवाह मेरे भाई का मित्र निकला, उसने उसे आँख मारी, अन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।

13. आँख तरसना-(देखने के लालायित होना) – तुम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें तरस गई।

14. आँख फेर लेना-(प्रतिकूल होना) – उसने आजकल मेरी ओर से आँखें फेर ली हैं।

15. आँख बिछाना-(प्रतीक्षा करना) – लोकनायक जयप्रकाश नारायण जिधर जाते थे उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी होती थी।

16. आँखें सेंकना- (सुंदर वस्तु को देखते रहना) – आँख सेंकते रहोगे या कुछ करोगे भी

17. आँखें चार होना-(प्रेम होना,आमना-सामना होना) – आँखें चार होते ही वह खिड़की पर से हट गई।

18. आँखों का तारा-(अतिप्रिय) – आशीष अपनी माँ की आँखों का तारा है।

19. आँख उठाना-(देखने का साहस करना) – अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नहीं उठा सकेगा।

20. आँख खुलना – (होश आना) – जब संबंधियों ने उसकी सारी संपत्ति हड़प ली तब उसकी आँखें खुलीं।

21. आँखों पर परदा पड़ना – (लोभ के कारण सचाई न दीखना) – जो दूसरों को ठगा करते हैं, उनकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है। इसका फल उन्हें अवश्य मिलेगा।

22.आँखों का काटा – (अप्रिय व्यक्ति) – अपनी कुप्रवृत्तियों के कारण राजन पिताजी की आँखों का काँटा बन गया।

23. आँखों में समाना – (दिल में बस जाना) – गिरधर मीरा की आँखों में समा गया।

24. कलेजे पर हाथ रखना – (अपने दिल से पूछना) – अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो कि क्या तुमने पैन नहीं तोड़ा।

25. कलेजा जलना – (तीव्र असंतोष होना) – उसकी बातें सुनकर मेरा कलेजा जल उठा।

26. कलेजा ठंडा होना – (संतोष हो जाना) – डाकुओं को पकड़ा हुआ देखकर गाँव वालों का कलेजा ठंढा हो गया।

27. कलेजा थामना – (जी कड़ा करना) – अपने एकमात्र युवा पुत्र की मृत्यु पर माता-पिता कलेजा थामकर रह गए।

28. कलेजे पर पत्थर रखना – (दुख में भी धीरज रखना) – उस बेचारे की क्या कहते हों, उसने तो कलेजे पर पत्थर रख लिया है।

29. कलेजे पर साँप लोटना – (ईर्ष्या से जलना) – श्रीराम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

30. कान भरना – (चुगली करना) – अपने साथियों के विरुद्ध अध्यापक के कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।

31. कान कतरना – (बहुत चतुर होना) – वह तो अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरता है।

32. कान का कच्चा – (सुनते ही किसी बात पर विश्वास करना) – जो मालिक कान के कच्चे होते हैं वे भले कर्मचारियों पर भी विश्वास नहीं करते।

33. कान पर जूँ तक न रेंगना – (कुछ असर न होना) – माँ ने गौरव को बहुत समझाया, किन्तु उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।

34. कानोंकान खबर न होना – (बिलकुल पता न चलना) -सोने के ये बिस्कुट ले जाओ, किसी को कानोंकान खबर न हो।

35. नाक में दम करना – (बहुत तंग करना) – आतंकवादियों ने सरकार की नाक में दम कर रखा है।

36. नाक रखना – (मान रखना) – सच पूछो तो उसने सच कहकर मेरी नाक रख ली।

37. नाक रगड़ना – (दीनता दिखाना) – गिरहकट ने सिपाही के सामने खूब नाक रगड़ी, पर उसने उसे छोड़ा नहीं।

38. नाक पर मक्खी न बैठने देना – (अपने पर आँच न आने देना) – कितनी ही मुसीबतें उठाई, पर उसने नाक पर मक्खी न बैठने दी।

39. नाक कटना-(प्रतिष्ठा नष्ट होना) – अरे भैया आजकल की औलाद तो खानदान की नाक काटकर रख देती है।

40. मुँह की खाना-(हार मानना)– पड़ोसी के घर के मामले में दखल देकर हरद्वारी को मुँह की खानी पड़ी।

41. गरदन झुकाना – (लज्जित होना) – मेरा सामना होते ही उसकी गरदन झुक गई।

42. मुँह में पानी भर आना -(दिल ललचाना) – लड्डुओं का नाम सुनते ही पंडितजी के मुँह में पानी भर आया।

43. मुँह खून लगना – (रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना) – उसके मुँह खून लगा है, बिना लिए वह काम नहीं करेगा ।

44. मुँह छिपाना – (लज्जित होना) – मुँह छिपाने से काम नहीं बनेगा, कुछ करके भी दिखाओ।

45. मुँह रखना-(मान रखना) – मैं तुम्हारा मुँह रखने के लिए ही प्रमोद के पास गया था, अन्यथा मुझे क्या आवश्यकता थी।

46. मुँहतोड़ जवाब देना – (कड़ा उत्तर देना) – श्याम मुँहतोड़ जवाब सुनकर फिर कुछ नहीं बोला।

47. मुँह पर कालिख पोतना – (कलंक लगाना) – बेटा तुम्हारे कुकर्मों ने मेरे मुँह पर कालिख पोत दी है।

48. मुँह ताकना – (दूसरे पर आश्रित होना) -अब गेहूँ के लिए हमें अमेरिका का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।

49. मुँह बंद करना-(चुप कर देना) -आजकल रिश्वत ने बड़े-बड़े अफसरों का मुँह बंद कर रखा है।

50. दाँत पीसना – (बहुत ज्यादा गुस्सा करना) – भला मुझ पर दाँत क्यों पीसते हो? शीशा तो शंकर ने तोड़ा है।

51. दाँत खट्टे करना – (बुरी तरह हराना) – भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।

52. दाँत काटी रोटी-(घनिष्ठता, पक्की मित्रता) – कभी राम और श्याम में दाँत काटी रोटी थी पर आज एक-दूसरे के जानी दुश्मन है।

53. गरदन पर सवार होना – (पीछे पड़ना) – मेरी गरदन पर सवार होने से तुम्हारा काम नहीं बनने वाला है।

54. गरदन पर छुरी फेरना-(अत्याचार करना) -उस बेचारे की गरदन पर छुरी फेरते तुम्हें शरम नहीं आती, भगवान इसके लिए तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे।

55. गला घोंटना – (अत्याचार करना) – जो सरकार गरीबों का गला घोंटती है वह देर तक नहीं टिक सकती।

56. गला फँसाना-(बंधन में पड़ना)– दूसरों के मामले में गला फँसाने से कुछ हाथ नहीं आएगा।

57. गले मढ़ना-(जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना)– इस बुद्धू को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है।

58. गले का हार-(बहुत प्यारा)– तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तुम्हारे काम को क्यों मना करने लगा।

59. मुँह उतरना-(उदास होना)-आज तुम्हारा मुँह क्यों उतरा हुआ है।

60. सिर पर मौत खेलना-(मृत्यु समीप होना)– विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘भैया ! मुझे क्या डरा रहे हो ? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है‘।

 

हम उम्मीद करते हैं कि, यह पोस्ट आप सभी के लिए सहायक रही होगी।

धन्यवाद

सीजीएस कोचिंग टीम (CGS Coaching Team)

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